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NCERT Solutions for Class 7th: पाठ 4 – कठपुतली (कविता) हिंदी वसंत भाग – II

NCERT Solutions for Class VII : पाठ 4 – कठपुतली (कविता) हिंदी वसंत भाग – II

– भवानीप्रसाद मिश्र


पृष्ठ संख्या: 20

प्रश्न अभ्यास

कविता से

1. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?

उत्तर

कठपुतली धागे से बाँधकर रखा जाता था। वह इस बंधन से तंग आ गई थी। वह स्वतंत्र रहना चाहती थी, अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी। धागे से बँधे रहना उसे पराधीनता लगती है इसीलिए उसे गुस्सा आता है।

2. कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?

उत्तर

कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है किन्तु वह खड़ी इसलिए नही होती क्योंकि उसके पास स्वतंत्र रूप से खड़े हो सकने की क्षमता नहीं है। जब सारे कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी उस पर आती है तो उसे लगता है कि कहीं उसका यह कदम सबको मुसीबत में ना डाल दे।

3. पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगी?

उत्तर

पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को इसलिए अच्छी लगी क्योंकि स्वतंत्रता सभी को प्रिय होती है।वे भी बंधन में दुखी हो चुकी थीं और अपना जीवन इच्छानुसार जीना चाहती थीं।

4. पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि -‘ये धागे/क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/ इन्हें तोड़ दो;/मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।’ -तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि – ‘ये कैसी इच्छा/मेरे मन में जगी?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए –
• उसे दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी।

• उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
• वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।
• वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।

उत्तर

पहली कठपुतली स्वतंत्र होकर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है परन्तु जब उसपर सभी कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है, तो वह डर जाती है। उसे लगने लगता है कहीं उसका उठाया गया कदम सबको मुसीबत में ना डाल दे। वह स्वतंत्रता प्राप्त करने के उपाय तथा उसे हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगती है। उसे लगता है कि अभी उसकी उम्र कम है, वह सबकी जिम्मेदारी नही उठा सकती।

कविता से आगे

1. ‘बहुत दिन हुए/हमें अपने मन के छंद छुए।’ – इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? अगले पृष्ठ पर दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए –
1. बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नही आई।
2. बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।
3. बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
4. बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।

उत्तर

बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।

पृष्ठ संख्या: 21

2. नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए –
1. सन् 1857
2. सन् 1942

उत्तर

1. सन् 1857
• वीर कुंवर सिंह
• रानी लक्ष्मीबाई

2. सन् 1942
• सुभाषचंद्र बोस

• सरदार वल्लभ भाई पटेल

भाषा की बात

1. कई बार जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो उनके मूल रूप में परिवर्तन हो जाता है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन हुआ है। जब काठ और पुतली दो शब्द एक साथ हुए कठपुतली शब्द बन गया और इससे बोलने में सरलता आ गई। इस प्रकार के कुछ शब्द बनाइए –
जैसे – काठ (कठ) से बना – कठगुलाब, कठफोड़ा
हाथ-हथ सोना-सोन मिट्टी-मट

उत्तर

हाथ-हथ – हथकरघा, हथकड़ी, हथगोला
सोना-सोन – सोनभद्रा, सोनजूही, सोनपापड़ी
मिट्टी-मट – मटमैला, मटका, मटर

2. कविता की भाषा में लय या तालमेल बनाने के लिए प्रचलित शब्दों और वाक्यों में बदलाव होता है। जैसे -आगे-पीछे अधिक प्रचलित शब्दों की जोड़ी है, लेकिन कविता में ‘पीछे-आगे’ का प्रयोग हुआ है। यहाँ ‘आगे’ का ‘…बोली ये धागे’ से ध्वनि का तालमेल है। इस प्रकार के शब्दों की जोड़ियों में आप भी परिवर्तन कीजिए – दुबला-पतला, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोरा-काला, लाल-पीला आदि।

उत्तर

पतला-दुबला
उधर-इधर
नीचे-ऊपर
बाएँ-दाएँ
काला-गोरा
पीला-लाल

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